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स्मृति शेष: मांगी बाई ने राजस्थानी मांड गायकी को ऊंची पायदान पर बनाये रखा

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राजेंद्र बोड़ा       मांड गायकी राजस्थान की पहचान है।   इस गायकी को जिन महिला लोक गायिकाओं ने विश्व प्रसिद्धि दिलाई उनकी एक महत्वपूर्ण कड़ी मांगी बाई का पिछले दिनों निधन हो गया।   बीकानेर की अल्लाह ज़िलाई बाई और जोधपुर की गवरी देवी ने मांड को जिन बुलंदियों पर पहुंचाया उदयपुर की मांगी बाई ने उन बुलंदियों को थामे रखा और इस गायकी की चमक को बनाये रखा।   मारवाड़ के रेगिस्तानी विस्तार में उपजी मांड मांगी बाई के मेवाड़ी कंठ में ऐसी रची बसी थी कि मानो पथरीली ज़मीन में कोंपलें फूट पड़ रही हो।   लोक गायकी को इस गायिका ने अलग पहचान ही नहीं दी बल्कि इस गायन परंपरा को बनाये रखने और नयी पीढ़ी को उससे जोड़े रखने में प्रमुख भूमिका भी निबाही। तत्कालीन उदयपुर रियासत के प्रतापगढ़ में कमलाराम और मोहन बाई के यहां जन्मी मांगी बाई कह सकते हैं जन्मजात गायिका थी क्योंकि संगीत उन्हें पारिवारिक विरासत में मिला था।   उनके पिता कमलाराम शास्त्रीय संगीत में निष्ण