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Showing posts from January, 2017

जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल

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विश्व पटल पर गुलाबी नगरी को मिली नई पहचान  राजेंद्र बोड़ा  जयपुर का फिल्मों से पुराना रिश्ता रहा है। पिछली सदी में जब पर्दे पर चलती फिरती तस्वीरों की नई यांत्रिक कला हिंदुस्तान में पहुंची तभी से फिल्में बनाने वालों की यहां आवाजाही बन गई। यहां फिल्मांकन करने देश और विदेश दोनों जगहों से सिनेकार लगातार आते रहे हैं। गुलाबी शहर उनके लिए सदैव आकर्षण का केंद्र रहा। मगर इस शहर की पहचान हमेशा ऐतिहासिक आमेर का क़िला और शहर के मध्य स्थित हवा महल ही बने रहे। यहां के जवाहरात उद्योग ने भी इस शहर को पहचान अपनी दी। वर्ष 1925 में बनी फिल्म लाइट ऑफ एशिया का एक दृश्य फिल्मों को जयपुर में शुरू से ही प्रोत्साहन मिलता रहा है। वर्ष 1925 में भारत और जर्मनी के तकनीकी सहयोग से बनी भगवान बुद्ध के जीवन पर आधारित फिल्म लाइट ऑफ एशिया (प्रेम संन्यास) एक मूक फिल्म थी जिसकी अधिकांश शूटिंग जयपुर में हुई। तब सवाक फिल्मों का चलन शुरू नहीं हुआ था। तत्कालीन जयपुर महाराजा ने इस फिल्म की यूनिट को फिल्मांकन के लिए पूरी सुविधाएं दीं जिसके लिए फिल्म के क्रेडिट में जयपुर के महाराजा को धन्यवाद ज्ञापित किया ग

ज़ुबान-ए-यार मन तुर्की: भारतीय सिने संगीत में उर्दू

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राजेंद्र बोड़ा यदि कोई पूछे कि भारतीय सिनेमा की ज़ुबान कौन सी है तो जवाब देते हुए यह कहने में कोई ज़रा सी देर भी नहीं लगाएगा – हिन्दुस्तानी। और यह हिन्दुस्तानी क्या है ? यह वो ज़ुबान है जिसमें इस देश की गंगा-जमनी संस्कृति बोलती है। इस ज़ुबान में सभी बोलियों का खूबसूरत संगम है। भारतीय सिनेमा जब 1932 में आर्देशिर ईरानी की फिल्म ‘ आलम आरा ’ से बोलने लगा तब फिल्म व्यवसाय के लोगों को बड़ी चिंता हुई कि मूक फिल्मों की देश के सभी भाषाई इलाकों में जो सर्वव्यापकता थी वह कैसे बनी रहेंगी ? मगर नए देशी सिनेमा की ज़ुबान की जो भाषा बनी वह थी हिन्दुस्तानी। देश की पहली ही सवाक फिल्म के साथ ही फिल्मी गानों का दौर शुरू हुआ जिससे इस नई ज़ुबान ने सिनेमा के पर्दे के बाहर भी लोगों का दिल ऐसा जीता कि सभी क्षेत्रीय भाषाई दूरि यां मिट गईं और देश के कोने-कोने में ही क्यों दुनिया भर में इस ज़ुबान के गाने लोगों के मुंह पर चढ़ गए। फिल्म संगीत ने अपना ऐसा जादू बिखेरा कि लफ़्ज़ कहीं पीछे छूट गए और धुन का जादू सिर चढ़ कर बोलने लगा। हिन्दुस्तानी का एक शब्द भी नहीं समझने वाले विदेशी तक भारतीय फिल्मों के गाने