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व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वलौकिक बनाने वाली कवयित्री को नोबेल

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  राजेंद्र बोड़ा     साहित्य के लिए इस साल का नोबेल पुरस्कार अमरीकी कवयित्री लुईस ग्लूक को दिया गया है। विश्व का यह सबसे बड़ा सम्मान देने वाली स्वीडिश अकादमी ने कहा है कि “ग्लूक की कविताओं की आवाज़ ऐसी है जिनमें कोई ग़लती हो ही नहीं सकती और उनकी कविताओं की सादगी भरी सुंदरता उनके व्यक्तिगत अस्तित्व को भी सार्वलौकिक बनाती है।” वर्ष 2010 से लेकर अब तक वह चौथी ऐसी महिला हैं जिन्हें साहित्य का नोबेल पुस्कार मिला है। नोबेल की शुरूआत पिछली सदी के पहले वर्ष 1901 में हुई और तब से लेकर अब तक ग्लूक यह सम्मान पाने वाली 16 वीं महिला हैं। पिछली बार 1993 में अमरीकी लेखिका टोनी मरिसन को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था। इस बार के पुरस्कार का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि ग्लूक कोई गुमनाम कवियित्री नहीं है जिसे अचानक खोजा गया हो जैसा कि पहले अनेक बार हुआ है कि पुरस्कार मिलने के बाद ही कोई साहित्य का रचनाधर्मी अपने क्षेत्रीय दायरे से बाहर विश्व पटल पर आया हो। ग्लूक एक ऐसी सफल साहित्यधर्मी हैं जिनके नाम पहले ही ढेरों पुरस्कार और सम्मान दर्ज हैं। उनके नाम पुरस्कारों के अंबार में कुछ प्रमुख हैं: उनकी रचना '