कांग्रेस में अंतर्विरोध और अंतर्कलह, मगर संभाले कौन!
- राजेंद्र बोड़ा डेढ़ सदी से अधिक पुरानी कांग्रेस पार्टी में इस समय कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है । लगातार दो बार संसदीय चुनाव की हार और चंद राज्यों में उसकी सरकारों के सिमट जाने के बाद अब इस पार्टी में जो अंतर्कलह उभर कर सामने आ रही है वह लक्षण है उसमें आ रहे नेतृत्व के क्षरण का। बीते दो दशकों से अधिक समय से पार्टी की अध्यक्षता नेहरू-गांधी परिवार के ही पास रही है जिसकी वजह से यह माना जाने लगा है कि अब पार्टी परिवार के ही इर्द-गिर्द घूमती है और परिवार के बिना शायद ही उसका कोई वजूद रहे । आज कांग्रेस अन्य राजनैतिक दलों से ऊंची पायदान पर नहीं है। वह भी अन्य राजनैतिक दलों की भांति एक सामान्य पार्टी हो कर रह गयी है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अब उसमें नेहरू परिवार के नेतृत्व की पुरानी राजनीतिक समझ बदल गई है। नई पीढ़ी का नेतृत्व अपनी विरासत , अपनी परंपरा से कटा हुआ है। सोनिया गांधी , राहुल गांधी या प्रियंका वाड्रा के पास पुश्तैनी संबंधों की धरोहर तो है मगर हिंदुस्तान की राजनीति की समझ , लोकतान्त्रिक सोच तथा वैचारिक अनुभव की विरासत नहीं है। परिस्थितिय...