लता श्रुति संवाद: सिने संगीत के स्वर्णयुग में फिर लौटना
राजेंद्र बोड़ा लता मंगेशकर हिंदुस्तानी फिल्म संगीत की वे एक ऐसी गायिका है किनके कंठ में वीणावादिनी निवास करती है। उन्होंने अपने जीवन में कड़ी तपस्या से एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जिसकी बराबरी शायद ही कोई कभी कर पाएगा। उनकी दोषरहित गायकी पर कभी कोई उंगली नहीं उठा सका। उन्होंने धन, यश और देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न जैसा मान सभी कुछ पाया। स्वर साम्राज्ञी के रूप में पूज्यनीय लता मंगेशकर पर अनेकों पुस्तकें लिखी जा चुकी है और पत्र-पत्रिकाओं में उन पर सदा ही कुछ न कुछ छपता ही रहता है। ऐसे में उनके बारे में कोई नई किताब लिखे तो स्वाभाविक रूप से पूछा जा सकता है कि इस गायिका के बारे में और क्या नया लिखा जा सकता है? मगर अजय देशपांडे की नई पुस्तक “लता श्रुति संवाद” इस धारणा को तोड़ती है कि लता,उनकी गायकी और उनके गानों के बारे में नया और क्या लिखा जा सकता है। देशपांडे साहब ने अपनी पुस्तक में लता की शुरुआती 17 वर्षों की संगीत यात्रा का, अपनी पसंद के 100 गानों के जरिये, विद्वत्तापूर्ण विवेचन किया है। अजय देशपांडे ने 2019 में अपनी पहली पुस्तक “”कला संगम” (खंड-1) में भारतीय कला और संस्कृ...