खेल राजनीति का दरियादिल राजनेता
- राजेन्द्र बोड़ा खेलों की राजनीति में रमे लोगों की दरियादिली के किस्से खूब मिलते हैं और वे दोस्तों की महफिलों में चटखारे लेकर सुनाए भी जाते हैं। खेल राजनीति की सत्ता को गरिमा देने के लिए बाद में इन नेताओं को खेल प्रशासक का नाम दे दिया गया भले ही उनमें से अधिकांश कभी खुद खिलाड़ी न रहे हों। खेलनेताओं की शान इसी में रही है कि वे किस प्रकार अपने चहेते खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खिलवाने भिजवा सकें और अपने समर्थकों , प्रशंसकों और दोस्तों को देश विदेश के दौरे करवा कर मजे करवा सकें। एक नज़रिये से खेल जगत की सत्ता भी राज की सत्ता से कम नहीं रही है। इसलिए खेल संगठनों पर कब्जा करने का संघर्ष संसद या विधानसभा के निर्वाचन की प्रतिस्पर्धा से कम नहीं होता। इसकी कुछ झलकियां खेल राजनीति में सिरमौर रहे राजनेता स्वर्गीय जनार्दन सिंह गहलोत के आत्मकथ्य वाली पुस्तक में मिलती हैं जिसका सम्पादन हमारे दो प्रिय साथियों अनिल चतुर्वेदी तथा संतोष निर्मल ने किया था। इस पुस्तक का हल्का सा परिचय हमने कुछ समय पूर्व यहीं पर साझा किया था। इस पुस्तक में स...