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हसरत जयपुरी को कैसे भुला सकते हैं

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राजेंद्र बोड़ा जिसे सारे हिंदुस्तान ने गुनगुनाया उसे राजस्थान ही क्यों ख़ुद उसके शहर जयपुर ने भुला दिया. किसी को याद भी नहीं कि आज उम्दा शायर हसरत जयपुरी की पुण्य तिथि है. अपने सरल और शोख़ गीतों से लाखों करोड़ों की जुबान पर चढ़ जाने वाले इस मकबूल शायर ने अपने शहर के नाम को अपनी पहचान बनाए रखा और गुलाबी नगरी का नाम रोशन किया मगर उनके घर वालों ने ही उन्हें भुला दिया. फ़िल्म संगीत के शौकीनों से पूछें तो कोई बताता है कि राजधानी के 'चार दरवाजा' इलाके में 15 अप्रेल 1922 को जन्मे इस आशिकाना शायर के नाम से, १९९९ में उसके निधन के बाद एक रास्ते का नामकरण जरूर हुआ था मगर अब उसे बताने वाला ही कोई नहीं मिलता . दूर गुजरात के जामनगर में जयपुर की इस प्रतिभा की याद में हर साल इस दिन उनके मुरीद शानदार संगीतमय कार्यक्रम करते हैं जिसमें गुजरात के कोने-कोने से ही नहीं देश भर से रसिक जुटते हैं, इस शायर के गीत गाते हैं और उनकी यादों में खो जाते हैं. मगर हसरत के अपने शहर और प्रदेश में कोई उनके लिए कंदील भी नहीं जलाता. हम मौके-बे-मौके बड़े जलसे करते हैं बाहर के लोगों को बुलाते है, उन्हें सिर पर चढा