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धुन के धनी : संगीतकार ओ. पी. व्यास   राजेंद्र बोड़ा संगीतकार ओ पी व्यास पुरानी और आधुनिक पीढ़ी के संगीतकारों के बीच की अंतिम कड़ी थे। उन्होंने उस दौर में राजस्थानी फिल्मों में संगीत दिया जिसे इन फिल्मों का स्वर्णयुग कहा जाता है। हालांकि पिछली सदी के अंतिम दो दशकों का दौर वह भी था जब यंत्र तकनीक भारतीय फिल्म संगीत को नए आयाम दे रही थी जिसे कईं लोग फिल्म संगीत का बुरा दौर मानते हैं। शनिवार , छह जून को 77 वर्ष की उम्र में शरीर छोडने के समय तक वे संगीत की साधना में लगे रहे। एक हफ्ते पहले तक वे गीतकार कृपाकृष्ण रिंदी और निर्देशक उस्मान अब्बासी के साथ बैठ कर नई राजस्थानी फिल्म ‘ म्हारी लाड़ली बेटी ’ के गाने कम्पोज़ कर रहे थे। उनकी एक अन्य फिल्म ‘ नैणा रो नीर ’ भी प्रदर्शन के लिए तैयार है। ऐसे बहुत कम भाग्यशाली लोग होते हैं जो इस तरह काम करते हुए दुनिया से विदा कहते हैं। ओम प्रकाश व्यास जिन्हें अधिकतर लोग ओ पी व्यास के नाम से ही पहचानते हैं ने धमाके के साथ राजस्थानी फिल्मों में प्रवेश किया था। उन्नीसवीं सदी के सातवें दशक में मान लिया जाने लगा था कि राजस्थानी फिल्मों के निर