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फ़िल्मों में आई प्रार्थनाओं ने परमात्मा से सीधा संवाद कराया

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  राजेन्द्र बोड़ा हिन्दुस्तानी सिनेमा में जीवन का शायद ही ऐसा कोई प्रसंग रहा हो जो उसमें न आया हो। जीवन के संघर्ष की तो लगभग प्रत्येक फिल्म में ही कहानी मिलती है। जब संघर्ष की इंतिहा हो जाती है तब फिल्म की कहानी का चरित्र ईश्वर को याद करता है और प्रार्थना करता है। यहां फिल्म संगीत अपना जादू दिखाने का मौका मिलता है। फिल्म संगीत ने एक से बढ़ कर एक प्रार्थना गीत दिए हैं। अलौकिक सत्ता को सीधे अपनी बात कहने के लिए अंग्रेजी भाषा में सिर्फ एक शब्द है “प्रेयर”। इसका हिन्दी में अर्थ होता है प्रार्थना। परंतु सनातन परंपरा के अनुरूप हिन्दी में ईश्वर के लिए भजन भी गाए जाते हैं और देवी देवताओं की आरतियां भी गाई जाती है। इन सभी का हिन्दुस्तानी फिल्म संगीत में खूब उपयोग हुआ है। अनेक बार लोक में गायी जाने वाली प्रार्थनाएं, आरतियां और भजन फिल्मों में आईं तो उसके उलट फिल्मों के लिए बनाई गई ऐसी रचनाएं लोक में भी प्रतिष्ठापित हुई हैं। इस आलेख में हम हिन्दुस्तानी फिल्मों में आई सैंकड़ों प्रार्थनाओं में से कुछ की विवेचना करेंगे जिन्होंने सिनेमा के परदे से बाहर लोक में भी अपनी धूम मचाई। हमने प्रार्थनाओं को