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सात पीढ़ियों के लिए इंतजाम

राजेंद्र बोड़ा सारा मीडिया जगत इस बात के इंतजाम करता है कि हम उसकी इस सूचना से इतराएँ कि भारतीय व्यापार और उद्योग की हस्तियां विश्व के सबसे अधिक अमीरों की सूची में स्थान पा रहीं हैं। ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि नई अर्थ व्यवस्था के चलते देश की संपन्नता में इजाफा हो रहा है जिसके लिए सभी को उत्सव मनाना चाहिए। यह सच है कि दुनिया के अमीरों की सूची में शीर्ष स्थानों पर भारत के लोगों के नाम आने लगे हैं और सरकारी तंत्र से जुड़ा, खास कर शहरी इलाकों का, मध्यम वर्ग का एक तबका छठे वित्त आयोग की सिफ़ारिशों के हिसाब से वेतन पाने से वित्तीय संपन्नता से सरोबार हो रहा है और वह विलासिता की चीजों पर खर्च को बढ़ा कर बाज़ार की अपेक्षाओं को पूरा कर रहा है। गावों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना का पैसा पहुंचाया जा रहा है जिससे बाज़ार को मदद मिलती रहे। बाज़ार को साध लेने वाला और उसी का होकर रह जाने वाला आज एक पुराने मुहावरे के अनुसार “सात पीढ़ियों का सामान” कर रहा है। आज जिस प्रकार से धन कमाने की लोलुपता बढ़ती जा रही है वह इस मुहावरे को अर्थहीन कर रही है। पहले एक व्यक्ति अपनी आने वाली सात पीढ