राजस्थानी सिनेमा का 80 साल का सफर दर्ज़ करता ग्रंथ

 

-   राजेन्द्र बोड़ा

संदर्भ ग्रंथ को तैयार करना उतना आसान नहीं होता जितना साहित्य रचना। यहां कल्पना की उड़ान नहीं होती बल्कि एक-एक जानकारी और तथ्य की प्रामाणिकता ठोक बजा कर परखनी होती है। यह अकादमिक अनुसंधान का काम है जो पत्रकारिता के पेशे से लंबे समय तक जुड़े रहे एम. डी. सोनी ने सद्य प्रकाशित ‘राजस्थानी सिनेमा के विश्वकोश’ में बखूबी किया है।

राजस्थानी सिनेमा अब तक अपनी कोई पहचान नहीं बना सका है। इसमें सरकारी उपेक्षा भाव के साथ राजस्थानी फ़िल्में बनाने वालों में गंभीरता का अभाव भी कारक रहा है। राजस्थानी फ़िल्मों का निर्माण कभी व्यवस्थित तरीके से नहीं हो पाया और न उसका व्यावसायिक आधार ही बन पाया। राजस्थानी में बनी फ़िल्मों का मुकाबला सीधे व्यावसायिक हिन्दी फ़िल्मों से रहा जिसके सामने टिकने के लिए न यहां बंगाल, महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों जैसा सांस्कृतिक आग्रह रहा और न वैसा मोह। अब डिजिटल काल में जब फिल्मों को सिनेमाघरों की दरकार नहीं रही और निगेटिव फिल्म पर शूट करने तथा रिलीज़ प्रिंट बनवाने का बड़ा खर्चा बच गया है तथा फ़िल्म निर्माताओं को अपनी फ़िल्में दर्शकों तक पहुंचाने के लिये ‘ओटीटी’ और ‘यू ट्यूब’ जैसे विकल्प मिल गए हैं, तब फिल्में बनने की संख्या जरूर बढ़ी है। किंतु ऐसा कुछ होना अभी बाकी है जिससे राजस्थानी सिनेमा पर गर्व किया जा सके। अपेक्षा की जानी चाहिये कि यह संदर्भ ग्रंथ सभी हितधारकों तथा नीति निर्माताओं का राजस्थानी सिनेमा के प्रति नज़रिया बदलने में मदद करेगा। सामान्य पाठक को भी इसमें अनेक रुचिकर जानकारियां मिलती है।   

बरसों की मेहनत से तैयार किया गया यह ग्रंथ राजस्थानी सिनेमा का प्रामाणिक इतिहास प्रस्तुत करता है। जो पिछली पीढ़ी के लिए नोस्टेलजिक है और नई पीढ़ी के लिए कौतूहल वाला। ‘राजस्थानी फ़िल्म गीत कोश’ एक ऐसा संदर्भ ग्रंथ है जिसमें 1942 में बनी पहली राजस्थानी फिल्म 'निज़राणों' से लगाकर 2022 तक की सेंसर प्रमाण पत्र प्राप्त सभी फ़िल्मों का विवरण शामिल है। पुरानी फ़िल्मों से संबंधित सूचनाएं और सामग्री, जो उनके निर्माता निर्देशक भी नहीं संजो कर रख सके, को जुटाने का कठिन और जटिल काम ग्रंथकार ने किया है। यह ग्रंथ महज सूचनाओं का जमावड़ा नहीं है बल्कि उसके बहाने राजस्थानी सिनेमा का डाटा बैंक तैयार हुआ है जिसमें 233 फ़िल्मों और उनके गीतों की समग्र, सटीक और तथ्यपरक जानकारी समाहित है। इस डाटा बैंक से पता चलता है कि 1942 में पहली राजस्थानी फिल्म बनने के बाद दूसरी फिल्म बनने के बीच 20 वर्ष का अंतराल रहा। उसके बाद भी 1962, 1966, 1967, 1968, 1970, 1971, 1972, 1974 से 1980, 1986 और 2020 में भी कोई राजस्थानी फिल्म नहीं बनी। सर्वाधिक 16 फ़िल्में 2013 में आईं। इस कोश में हिन्दी और अन्य भाषाई कोशों से एक कदम आगे बढ़ कर पहली बार नृत्य निर्देशक/ कोरियोग्राफर की फ़िल्मों में भागीदारी को भी दर्ज किया गया है।

कुल 256 पेज का यह कोश ग्रंथकार ने जिस सुरुचिपूर्ण तरीके से संयोजित कर अपने स्वयं के प्रयासों से प्रकाशित किया है वह श्लाघनीय है। यह संदर्भ ग्रंथ भारत में डाक खर्च सहित 1800 रुपये में उपलब्ध है।  

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